महाराष्ट्र के सियासी घमासान के क्लाइमेक्स ने सबको चौंका दिया. पर भाजपा के इस फैसले के बाद अब सवाल ये उठता है कि जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे होंगे तो फिर सरकार किसकी होगी, भाजपा या शिवसेना ?
महाराष्ट्र में बीते दो हफ़्तों से चाल रहे सियासी घमासान का तो अंत हो गया, पर इस अंत ने नये सवाल को जन्म दे दिया है. दरअसल राज्य में भारतीय जनता पार्टी के सरकार बनाने और देवेन्द्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने की ख़बरों के बीच भाजपा ने बड़ा ऐलान किया है. पार्टी ने ऐलान कर दिया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस नहीं, एकनाथ शिंदे होंगे. उससे भी महत्वपूर्ण ये रहा कि इसकी घोषणा खुद फडणवीस ने शिंदे की मौजूदगी में की. शिंदे आज शाम साढ़े सात बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. फडणवीस ने बताया कि आज सिर्फ एकनाथ शिंदे का शपथ ग्रहण होगा. मैं शिंदे के मंत्रिमंडल से बाहर रहूंगा.
फडणवीस के इस ऐलान ने सबको चौंका दिया. इससे पहले गुरुवार को शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे गोवा से मुंबई पहुंचे. फिर देवेन्द्र फडणवीस के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे. इस मुलाकात के बाद सबको उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री के लिए फडणवीस के नाम का ऐलान हो जायेगा और शिंदे डिप्टी सीएम होंगे. पर शिंदे के नाम के ऐलान ने सारे विश्लेषणों को गड़बड़ा दिया.
फडणवीस ने कहा कि 2019 में भाजपा और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. जनता ने हमें पूर्ण बहुमत भी दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें बड़ी जीत मिली थी. फडणवीस ने ठाकरे पर शिंदे कि बात न सुनने का आरोप लगाते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे लगातार उद्धव ठाकरे से कहते रहे की आप महाविकास अघाडी (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना गठबंधन) सरकार से बाहर निकलिए लेकिन उद्धव ठाकरे ने एक नहीं सुनी.
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इतना ही नहीं फडणवीस ने उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा कि बाला साहब ने जीवन भर जिनसे लड़ाई की, ऐसे लोगों के साथ उन्होंने सरकार बनाई. महा विकास अघाडी सरकार को लेकर शिवसेना के कई नेता उद्धव ठाकरे से खफा थे.
वहीं एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने जो निर्णय लिया वो किन परिस्थितियों में लिया वो आप सबको पता है. मैं बाला साहब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का काम करूंगा. सभी 50 विधायक हमारे साथ हैं. हमने कई बार मुख्यमंत्री से अपने विधानसभा क्षेत्र के समस्याओं के बारे में बताया. मुख्यमंत्री ने कभी हमारे बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.